| इलाहाबाद में कायस्थ महाकुंभ में रा0अ0 एबीसीएम श्री विनोद बिहारी वर्मा के साथ कायस्थ समाज की हस्तियों ने संगठित होने का लिया संकल्प <Oct 24,2010> http://kaysthsamaaj.blogspot.com/ |
| केपी कॉलेज इलाहाबाद में कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट द्वारा <Oct 24,2010> आयोजित कायस्थ महाकुंभ में दीप प्रज्जवल्लित करते श्री मनोज सक्सेना व अन्य गणमान्य http://kaysthsamaaj.blogspot.com/ |
दिनांक 25 अक्टूबर, 2010
जो पार्टी टिकट देगी, कायस्थ उसी के साथ
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कायस्थ महाकुंभ ने राजनीतिक प्रस्ताव पारित करके साफ कर दिया कि चुनावों में यह वर्ग उसी पार्टी का साथ देगा जो कायस्थ उम्मीदवारों को टिकट देगी। प्रस्ताव में कायस्थ समाज से अपील की गई कि वे ऊंच-नीच भूलकर अपनी बिरादरी के उम्मीदवार को चुनाव जिताने के लिए तन-मन-धन से प्रयास करें। रविवार को यहां केपी कॉलेज में कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस महाकुंभ में एक सामाजिक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसे पूर्व महापौर केपी श्रीवास्तव ने पेश किया। इसमें कायस्थ वर्ग के प्रभावशाली अधिकारियों, व्यापारियों व राजनीतिज्ञों से अपने वर्ग के व्यक्तियों के सुख-दुख में शरीक रहने की अपील की गई। राजनीतिक प्रस्ताव विनोद बिहारी वर्मा ने पेश किया। महाकुंभ को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं पूर्व आयकर अधिकारी उर्वशी सक्सेना ने कहा कि कायस्थ संगठनों की यह जिम्मेदारी है कि धनाभाव के कारण इस समाज का न तो कोई व्यक्ति शिक्षा से वंचित रहे और न कोई लड़की बिन ब्याही। उन्होंने यह संकल्प लेने का आह्वान किया कि न कोई दहेज लेगा और न ही देगा। महाकुंभ की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ के पूर्व महापौर डा.एससी राय ने कहा कि वह जहां भी रहेंगे वहां कोशिश करेंगे कि इसी तरह का विराट कार्यक्रम हो और लोग जागरूक हों। उन्होंने आह्वान किया कि समाज के लोग यहां पारित राजनीतिक और सामाजिक प्रस्तावों के लक्ष्य को आत्मसात कर इस दिशा में काम करें। पूर्वमंत्री सुनील शास्त्री ने कहा कि समाज में कायस्थ समुदाय की बेशक पहचान, सम्मान और इज्जत है, लेकिन अब यदि आप लोकसभा और विधानसभाओं में नहीं हैं तो आपकी बात कोई नहीं सुनेगा। ऐसे में इस समाज की एकजुटता जरूरी है। कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष तेज प्रताप सिंह ने कहा कि लोगों ने आज जो साथ दिया है, यदि वह भविष्य में भी ऐसे ही बना रहा तो कायस्थ समाज हिंदुस्तान की राजनीति में तहलका मचा देगा। इस समाज की उपेक्षा करने वाले राजनीतिज्ञ जान गए हैं कि कायस्थ समाज अब जागरूक हो गया है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर छोटी-छोटी समितियों की एकजुटता का आह्वान किया। कहा कि अगर वे एकजुट नहीं हो सकते तो अपने सदस्यों की सूची दें ताकि उनके प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर स्टीयरिंग कमेटी बनाई जा सके। इससे पूर्व महाकुंभ में सर्वसम्मति से राजनीतिक और सामाजिक प्रस्ताव पारित किए गए। इस दौरान तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चित्रांश दिवस मनाने की घोषणा भी की गई। कार्यक्रम का संचालन अशोक श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन जीपी श्रीवास्तव ने किया।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कभी वाह-वाह की गूंज तो कभी संजीदगी भरी दाद। केपी इन्टर कालेज में कायस्थ महाकुंभ के अंतर्गत सजी मुशायरे की महफिल में देर रात तक कलामों की बारिश होती रही। शायर गुलजार देहवली ने अपनी बेबाक शायरी सभी को भावविभोर किया। सुनाया .. सिलसिला एक मुनज्जम है मुसलसल यारों, कत्ल की, जुल्म की, साजिश की भी हद होती है। प्रो. वसीम बरेलवी का शेर छोटी छोटी बातें करके बड़े कहां बन जाओगे, पतली गलियों से निकलो तो खुली सड़क पर आओगे खूब सराहा गया। अना देहलवी का शेर मैं गहरे पानी की गिजा बनके रह गई, सैलाब ऐसा आया कि साहिल नहीं रहा। शायर राहत इंदौरी का ..ये जो कुछ लोग फरिश्ते से बने फिरते हैं, मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएं तो इंसा हो जाएं। ये सहारा जो नहीं हो तो परीशां हो जाएं। मुश्किलें जान ही ले लें अगर आसां हो जाएं। इसी क्रम में नईम बुरहानपुरी .. कहा कि चेहरा नया लगाओ नहीं, इसे लगाकर मगर आईने में आओ नहीं। मंजर भोपाली .. मि मेरे बोल अपने देश मे क्या-क्या होता है, चोर करे रखवाली घर की और सिपाही सोता है। अज्म शाकिरी ने सुनाया .. आ मेरी मौत मेरी जान बचा ले आकर, जिंदगी रोज मुझे जेरो जबर करती है। इसी क्रम में शबीना अदीब, अनवर जलालपुरी, मुजफ्फर रमजी, पापुलर मेरठी, जौहर कानपुरी और हसन काजिमी ने कलाम पेश किये।
मंच पर राजू, लगते रहे ठहाके
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : देश के लाफिंग आइकन और हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव ने कायस्थ महाकुंभ में सभी खासो-आम को ठहाके लगाने पर मजबूर किया। रात लगभग आठ बजे नायक नहीं खलनायक हूं मैं की नेपथ्य में बज रही धुन के साथ राजू मंच पर आए। चित्रांश बंधुओं का विशेष आभार प्रकट करते हुए उन्होंने इलाहाबाद वासियों के प्रति अपना स्नेह प्रकट किया। शुरुआत में ही उन्होंने इलाहाबादी लहजे में बहुत लउंडे आए हैं से सम्बोधित किया। इसके बाद मंच की प्रस्तुति से दर्शकों में हंसी के फौव्वारे फूटे।
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